दया का अंत दुःख
दया का अंत दुःख
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दया एक मधुर गुण है। परन्तु कई बार यह हमें कठिनाई में डालता है। हम more info दूसरों की मदद करना चाहते हैं, लेकिन इसी से हम खुद को चोट पहुँचाते हैं।
दयालुता का फल दुःख होता है क्योंकि हम कभी कभी सही निर्णय लेने से छूट जाते हैं।
धीरज और दुर्भाग्य
धुनि-धुनि गीत की तरह चलती है ज़िंदगी , हर पल में नये उतार-चढ़ाव होते हैं. कभी हमें खुशियों का ओश्यान मिलता है तो कभी दुःखों की रौशनी में डूब जाते हैं. ऐसे में धीरज ही हमें सहारा देता है और दुर्भाग्य का सामना करने की शक्ति प्रदान करता है.
इतिहास से पता चलता है कि जो लोग धीरजवान होते हैं वे कठिनाइयों को पार करते हैं . उनके मन में एक अटूट आस्था रहती है जो उन्हें कठिनाइयों से उबरने में मदद करती है.
धैर्य का विकास हमेशा आसान नहीं होता है, लेकिन यह ज़िन्दगी में सफलता की कुंजी प्रदान करता है.
कमज़ोरियों को लक्ष्य बनाया
दुनिया में सच्चे लोग अक्सर बेईमानी भरे लोगों का लक्ष्यbecome. क्योंकि वे दयालु होते हैं, तो उनका साहस कमजोर दिखता है और उन्हें आसानी से नुकसान पहुंचाना.
यह बहुत दुखद है कि अच्छे लोगों को हमेशा ही बुराइयों का निशाना बनाया जाता है.
धोखा: करुणा के साथ मिलकर आने वाला शत्रु
धोखा, एक ऐसा पाठ्यपुस्तक जो उल्लासों को फैलाता है , लेकिन यह हमारे पास भीतर से जाहिर होता है। जब हम दया का दिखावा करते हैं, तो धोखा छल के साथ हमारे आता है। यह हमें फसला देता है , और जब हम करुणा का उपयोग करते हैं, तो धोखा हमारे साथ जुड़ता है ।
दिल के वेदना, बेईमानी का फूल
जीवन एक अद्भुत सफ़र है, परिचित मोड़ों से भरा। हम सभी को जीवन में सफलता मिलती हैं और साथ ही हमें पीड़ा भी भुगतना पड़ता है।
व्यक्ति| लोगों के लिए, यह दुनिया का बुरा हाल एक अनपेक्षित घटना होती है। लेकिन बहुत से| लोगों के लिए, यह एक परिणाम होता है जो उनका जीवन पूरी तरह से बदल देता है।
यह दर्द अधिकतर उनके अंदर ही रहता है, लेकिन कभी-कभी यह महसूस होता है|।
दया का पतन: नरमी की मृत्यु
पहले के समय में, करुणा जीवन का एक अभिन्न अंग थी। मानवता का परिचय इसी पर आधारित था। लेकिन आजकल, यह गायब हो रहा है, और इसकी मृत्यु हमारे सामने खड़ी है।
यह नरमी की मृत्यु है, जो दया का अंत है।
यह एक ऐसी स्थिति है जहाँ मानवता अपने मूल्यों को भूल जाती है और दूसरों के प्रति अविश्वास दिखाती है।
यह स्थिति का कारण कई कारक हैं, जैसे कि प्रतियोगिता, अहंकार और स्वार्थीता।
ये गुण हमें एक-दूसरे से दूर धकेलते हैं और हमारे जीवन को नीचा दिखाते हैं।
कुल मिलाकर, नरमी की मृत्यु दया का अंत है। यह मानवता के लिए एक खतरा है और हमें इसको बदलने के लिए कदम उठाने चाहिए।
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